श्रावण मास में शिव पुराण से ली गई 11 रहस्यमयी कथाएँ

 “जानिए श्रावण मास में शिव पुराण की 11 रहस्यमयी कथाएँ—नीलकंठ से लेकर अमरनाथ तक, भक्ति, विज्ञान और आध्यात्म का संगम।”

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📚 Contents

  1. नीलकंठ और समुद्र मंथन का राज

  2. पार्वती की श्रावण तपस्या

  3. मार्कण्डेय की अमर कथा

  4. भैरव का उद्भव

  5. ब्रह्मा यज्ञ और दक्ष यज्ञ कथा

  6. अंधक का विलक्षण जन्म और मोक्ष

  7. नाईगेशक जयोतिलिंग की गाथा

  8. भृगु ऋषि और भरिंगी की परीक्षा

  9. अमरनाथ में अमरता की शिक्षा

  10. रावण–बैद्यनाथ वैभव कथा

  11. देवी श्रवण (‘श्रावण’ नाम की गूढ़ व्याख्या)


1️⃣ लीलकंठ शिव और समुद्र मंथन का रहस्य

श्रावण मास की शुरुआत समुद्र मंथन से होती है, जब हलाहल विष प्रकट हुआ। भगवान शिव ने वह विष गले में धारण कर लिया और उनकी कंठ नीली पड़ गई—इसलिए वे नीलकंठ कहलाए। तब देवताओं ने शिवजी को गंगाजल, दूध, घी आदि से अभिषेक किया—श्रावण मास की पूजा इसी स्मृति का प्रतीक है।


2️⃣ पार्वती की श्रावणी तपस्या

श्रावण मास में पार्वती ने कठोर व्रत किया ताकि वे शिवजी को पति रूप में प्राप्त कर सकें। शिव पुराणों में यह वर्णन है कि उन्होंने उपवास, साधना और श्रावण की शक्ति से शिव को प्रसन्न किया, जिससे उनका विवाह संभव हुआ।


3️⃣ मार्कण्डेय की अमरता की कथा

मृत्यु के देव यमराज ने चालीस महीने की आयु में मार्कण्डेय को समाहित करने आए, लेकिन शिवलिंग की अनन्य भक्ति के कारण, शिव उन्हें रक्षक बनकर यम को ललकारते हुए मार डाला और फिर उन्हें अमर बना दिया। यही कारण है कि मार्कण्डेय को "कालान्तक" कहा जाता है।


4️⃣ भैरव का उद्भव

भैरव की उत्पत्ति शिव के माथे से हुई—जब ब्रह्मा और विष्णु के बीच शिव पार दिख रहे थे। उनकी एक सिर को काटने पर, शिव ने भैरव को सृजित किया, जिसे ब्रह्महत्या हेतु दंडित होना पड़ा। फिर भी वह समुदाय के रक्षक बने।


5️⃣ दक्ष–यज्ञ और सती आत्मा की आगोश कथा

दक्षप्रजापति ने शिव का अपमान किया, जिससे सती ने अपने बलिदान द्वारा संस्कार दिए। उसका शरीर कपाल मंदिरों में गिरकर शक्ति पीठ बनीं, जबकि शिव की क्रोध में उत्पन्न वीरभद्र ने दहन किया—शक्ति, अनुग्रह और पुनर्जागरण की गाथा।


6️⃣ अंधक का जन्म और मोक्ष

शिव और पार्वती के स्पर्श से पैदा हुआ अंधक, जिसे बाद में विष्णु के वध से मोक्ष मिला—यह दर्शाता है कि कैसे अज्ञान भी करुणा व भक्ति से सुधर सकता है। जब अंधक ने पार्वती को छेड़ने का प्रयास किया, शिव ने उसे मुख्या देकर क्षमा किया।


7️⃣ नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना

शिव पुराण में वर्णित है कि समुद्र के भीतर नागों के वन डारुकावन से नागेश्वर लिंग बना और शिव निवास हेतु आए। यहां के भक्तों ने मंत्र जाप और एकाग्रता से उसे उजागर किया।


8️⃣ भृगु और भरिंगी की परीक्षा

ऋषि भरिंगी केवल शिव को ही प्रणाम करना चाहते थे—लेकिन पार्वती को त्यागने का प्रतिनिधित्व करना चाहते थे। शिव-पार्वती एकत्व सिद्ध हुआ—हर आराधना में दोनों को स्वीकार करना अनिवार्य है।


9️⃣ अमरनाथ की अमरता शिक्षा

श्रावण माह में शिव ने पार्वती को अमरता की कथा सुनाई थी, जिसे एक तोता सुन लेता है और अमर हो जाता है—यह ज्ञान की पहुँच-सीमा और श्रवण मास की शक्ति को दर्शाता है।


🔟 रावण–बैद्यनाथ कथा

ब्राह्मण रावण ने श्रावण माह में कठोर तपस्या की, जिससे उन्होंने बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की—यह ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति के लिए विख्यात है।


1️⃣1️⃣ ‘श्रावण’ नाम की गूढ़ व्याख्या

“श्रवण” शब्द का दूसरा मतलब “श्रवण नक्षत्र” और “श्रवण करना” / “सुनना” है। स्कंद पुराण में भगवान शिव कहते हैं कि केवल इस मास में श्रवण मात्र से सिद्धि होती है—इसलिए यह महीना ‘श्रावण’ कहलाया।


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